हेलो दोस्तों ,
ये कविता मेरे एक दोस्त के द्वारा लिखी गई है अगर पसंद आये तो मुझे बहुत ख़ुशी होगी।
और मेरे इस website पे आपको इसी तरह का और भी बहुत सारी कवितायेँ मिलती रहें गई।
उनसे दिन में बस एक ही बार बात होती है
पर ना जाने क्यों उसका एहसास दिनभर रहता है
वह कहते हैं तुम्हें इसमें दर्द के सिवा कुछ ना मिलेगा
पर ना जाने क्यों मन हमेशा उसी दर्द को समझना है
ठीक है माना वह ना भरोसा ना यकीन हम पर करती है
पर ना जाने क्यों वह हमें खुद पर भरोसा दिलाती है
END
ना पता कल का तुम पास होगी या नहीं
ना पता इस फैसले का तेरी हां होगी या नहीं
बस पता तो है इस पल का एहसास का
कि तुझसे और कोई खास कमी होगी नहीं
और यह साथ बेवजह तो नहीं
END
तुम्हें पता भी नहीं चलेगा
ये रात यूं ही ढल फिर नया सुबह लाएगा
दूर तक घना बादल कोहरा बंद छठ जाएगा
आंखों में नया सपना चमक बनकर जागेगा
जो बीत गया वह ना लौट वापस आएगा
आने वाले कल का सोच तू फिर डर जाएगा
जो है आज बस उस लम्हे तू जी
जो हंसी है उस खुशी में जी
जो होना होगा वह होकर रहेगा
बस तू जैसा है वैसा ही तू जी
END
आज तुम हो कहीं तुम हो
पहलू में बैठ बस पल हो
वक्त में कैद तस्वीर हो
ठहरे रहो रात बस तुम हो
राह जरा तेरी दिल की हो
यूं ही पलकों पर ठहरे रहो
एक आसमां बादल हो
हल्की बारिश का शोर हो
बूंदों में कैद एक तरस हो
मासूम समा आज मैराज हो
END
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